पटना । सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि हाल के दिनों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर बिहार में अनावश्यक विवाद उत्पन्न किया जा रहा है। यह नीति गहन विमर्श और 21वीं सदी के सबल और सार्थक भारत के परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है। यह नीति 29 वर्ष से कम आयु के 70 करोड़ भारतीयों के प्रतिस्पद्र्धी एवं भूमंडलीय नागरीय बनाने की दिशा में शानदार प्रयास है। यह पहली शिक्षा नीति है जो तीन वर्ष की आयु से ही नयी ज्ञान अर्जन के पहल द्वारा मानव विकास का कार्य प्रारम्भ करता है। स्कूल स्तर पर 6वें वर्ग से ही व्यवसायिक शिक्षा विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण की ऐसी व्यवस्था जिसमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं डिग्री की उपाधि एकीकृत अध्ययन प्रक्रिया से दी जा सकेगी। इससे स्नातकोत्तर स्तर छात्रों की भीड़ नही होगी तथा बेरोजगारी की समस्या समाप्त होगी। स्नातकोत्तर शिक्षा सिर्फ वहीं ग्रहण करेंगे, जो शोध और उच्च स्तरीय अध्यापन के कार्य में रूचि रखेंगे। इस नीति में सकल नामांकन स्तर को 50 प्रतिशत से उपर ले जाना तथा विश्वस्तरीय शोध कार्यों को प्रोत्साहन देना है।कुछ वर्गों द्वारा दुष्प्रचार किया जा रहा है, कि यह नीति भारत का इतिहास बदल रहा है तथा यह भारत में विनाशकारी शक्तियों को बढ़ावा देगी। हम समझते है कि यह कुंठित मानसिकता का परिणाम है। कृपया इसे राजनीतिक चश्में से नही देखा जाय। यह शिक्षा नीति भारत की संस्कृति, विरासत, गरिमा, वैदिक ज्ञान तंत्र, भारतीय भाषा विलुप्त हो रही, लिपियों को आगे बढ़ाने के साथ डिजिटल इंडिया को भी साकार करेगा। हम इस सोच से आगे बढ़े कि भारत 21वीं सदी के मध्य विश्व का नेतृत्व करेगा। यह तभी सम्भव है कि जब राजनीतिक भेदभाव से हटकर नयी शिक्षा व्यवस्था को आत्मसात करें। यह शिक्षा नीति राष्ट्रहित, राज्यहित तथा जनहित के लिए काफी उपयोगी सिद्ध होगी। इस दिशा में माननीय राज्यपाल, बिहार का प्रयास सराहनीय है।