मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई थी। करीब 7 घंटे तक चली मैराथन बैठक में मंत्री से लेकर अधिकारी और जिलों से डीएम-एसपी जुड़े थे। समीक्षा बैठक के दौरान थानेदार पर ही पूरी जिम्मेदारी थोप दी गई। जिनके क्षेत्र में शराब बरामद हुआ तो उनकी थानेदारी तो जायेगी ही,सीधी भूमिका होने पर 10 सालों तक थानेदारी से वंचित होना पड़ेगा। हालांकि डीजीपी ने कहा कि सिर्फ थानेदार ही नहीं बल्कि ऊपर के अधिकारियों पर भी शो-कॉज होगा।
शराब बरामदगी पर स्थानीय थानेदार और चौकीदार पर करवाई की जाएगी। जिनके क्षेत्र में शराब बरामद हुआ तो उनकी थानेदारी तो जायेगी ही। साथ ही सीधी भूमिका होने पर 10 सालों तक थानेदारी से वंचित होना पड़ेगा। हालांकि डीजीपी ने कहा कि सिर्फ थानेदार ही नहीं बल्कि ऊपर के अधिकारियों पर भी शो-कॉज किया जाएगा।
इंटेलिजेंस मशीनरी को दुरुस्त करने पर जोड़
इसके साथ ही इंटेलिजेंस मशीनरी को दुरुस्त करने पर भी जोड़ दिया गया है. और चौकीदार को एक्टिव रहने और गांव में शराब की पहुच की सूचना अब अनिवार्य रूप से थानों को देनी होगी। चौकीदार अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनपर कार्रवाई होगी। इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय के स्तर पर हर दूसरे दिन इसकी समीक्षा की जाएगी। पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी साथ बैठकर इसपर समीक्षा करेंगे।
शराब पीने से रोकने के लिए प्रचार प्रसार
बैठक के बाद गृह सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि सीएम ने सरकारी कर्मियों और अधिकारियों की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई करने का आदश दिया है। इसके साथ ही लोगों को शराब पीने से रोकने के लिए प्रचार प्रसार पर विशेष बल देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल से जो शराब आ रहे हैं उसको रोकने के लिए विशेष उपाय करने पर जोड़ दिया गया है। बैठक मे निर्णय लिया गया है कि प्रभारी जिला सचिव को लगातार फील्ड का दौरा करना होगा। साथ ही बिहार के हर जिले में हर 15 दिनों में समीक्षा बैठक होगी। इसके साथ ही बॉर्डर इलाके में शराब मिलने पर बॉर्डर को ब्लॉक कर दिया जाएगा। बैठक में छापेमारी के लिये एक सेंट्रल टीम बनाने का भी निर्नय लिया गया है।