केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के निरंतर आ रहे गंभीर परिणामों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं कैंपेन कमेटी के सदस्य ललन कुमार ने कहा है कि कुछ समय पहले तक टमाटर के आसमान छूते हुए दाम को लेकर देश भर में त्राहिमाम मचा हुआ था, त्राहिमाम अभी भी मचा है लेकिन इस बार शिकार आम आदमी नहीं बल्कि देश का किसान हुआ है। टमाटर अब किसानों के लिए भारी घाटे का सबब बन गया है।
मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना और ओडिशा के टमाटर उत्पादक इलाकों में टमाटर की गिरती कीमतों के कारण किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे है। किसान टमाटर को मंडियों में ले जाने के बजाय खेतों में ही फेंक रहे हैं क्योंकि मंडी में ले जाने का खर्च टमाटर के दाम से ज्यादा है। नतीजा यह है कि टमाटर के किसान तबाह हो रहे हैं।
महत्वपूर्ण है कि थोक मंडियों में टमाटर की उपज का भाव 2-5 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गया है जबकि खुदरा बाज़ार में टमाटर 15-25 रुपये किलो के रेट पर बिक रहा हैं। गजब यह है कि पिछले एक महीने में देश में टमाटर की औसत थोक कीमतों में 39.47 फीसदी और औसत खुदरा कीमतों में 36.06 फीसदी की गिरावट आई है। यह स्थिति किसानों की कमर तोड़ रही है। सरकार के किसान विरोधी रवैए पर सर्वत्र आक्रोश का माहौल है। सरकार को किसानों की चुनौतियों के समाधान हेतु अविलंब कदम उठाने की जरूरत है।