बिहार के 15 जिलों में बाढ़ से हाहाकार, 20 लाख लोग प्रभावित - Punjab Kesari
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बिहार के 15 जिलों में बाढ़ से हाहाकार, 20 लाख लोग प्रभावित

बिहार में कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। राज्य के 15 जिलों

बिहार में कई नदियां अभी भी खतरे के निशान से उपर बह रही हैं। राज्य के 15 जिलों की करीब 20 लाख की आबादी अभी भी बाढ़ से प्रभावित है। इस बीच, अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। इस बीच बाढ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए 477 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बांटी गई है।
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य के 15 जिलों के 83 प्रखंडों की कुल 394 पंचायतें बाढ़ से आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित है। वहां की 19.92 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ की चपेट में है। आपदा प्रबंधन विभाग ने इन जिलों में राहत व बचाव का कार्य तेज कर दिया है। विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि पटना के अलावा वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, खगड़िया, सहरसा, भागलपुर, सारण, कटिहार, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मधेपुरा, समस्तीपुर जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।
इन जिलों में बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की 17 और एसडीआरएफ की 12 टीमों को लगाया गया है। इसके अलावा 2 एनडीआरएफ की और 3 एसडीआरएफ की अन्य टीमें दूसरे बाढ़ प्रभावित जिलों में पहले से तैनात हैं। प्रभावित इलाकों में 1,800 से अधिक नावों का परिचालन किया जा रहा है। अधिकारी का कहना है कि जरूरत के अनुसार इन नावों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है। अधिकारी ने बताया कि अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों में 3 लाख 70 हजार से ज्यादा पॉलीथीन शीट और 4 लाख 75 हजार सूखा राशन पॉकेट बांटे गये हैं।
इसके अलावा सभी जिलों में फसल के नुकसान का आकलन कराया जा रहा है। आकलन होने के बाद किसानों को क्षतिपूर्ति की जाएगी। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर और सामुदायिक किचेन चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ के पानी से अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है। विभाग के मुताबिक अब तक 7,95,538 बाढ़ प्रभावित परिवारों को अनुग्राहिक राहत राशि (जीआर) के राशि के रूप में प्रति परिवार को 6000 रुपये की दर से कुल 477.32 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य के प्रमुख नदियां गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, गंगा, महानंदा नदी अभी भी कई स्थानों पर खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं।

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