एफ.आई.डी.एफ. के सहयोग से वर्ष 2022-23 तक प्राप्त किया जा सकेगा 20 मिलियन टन मत्स्य उत्पादन : राधा मोहन सिंह - Punjab Kesari
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एफ.आई.डी.एफ. के सहयोग से वर्ष 2022-23 तक प्राप्त किया जा सकेगा 20 मिलियन टन मत्स्य उत्पादन : राधा मोहन सिंह

एन.जी.ओ. और उद्यमियों के लगभग 40 प्रदर्शकों ने प्रदर्शनी में भाग लिया। कार्यक्रम में कई फिश फुड स्टालों

पटना :“नीली क्रांति” मिशन का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय को दुगुना करना है। इस मिशन में शामिल योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु सरकार द्वारा पिछले 4.5 वर्षों मे कुल रु.1915.33 करोड़ आवंटित किये गये। यह जानकारी माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद के द्वारा ज्ञान भवन, सम्राट अशोक इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, मुरादपुर, पटना में आयोजित ‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ के उद्धघाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए दी।

‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ समारोह का आयोजन 22 नवम्बर, 2018 को राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद के द्वारा पशुपालन, डेयरी एवं मात्स्यिकी विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से ज्ञान भवन, सम्राट अशोक इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, मुरादपुर, पटना में आयोजित किया गया। यह विश्व मात्स्यिकी दिवस का पांचवा संस्करण है। इस बार ‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ समारोह की थीम – “नीली क्रांति मिशन – आधुनिक तकनीकियों के प्रयोग से व्यावसायिक मत्स्य उत्पादन की ओर” रखी गयी है।

श्री सिंह ने बताया कि जलकृषि के अंतर्गत लगभग 29,128 हैक्‍टेयर क्षेत्रफल विकसित किया गया, जिससे अधिक से अधिक मत्स्य किसान लाभान्वित हुए। 7,441 पारंपरिक मछली पकड़ने वाले नौकाओं को मोटर चालित नौकाओं में परिवर्तित किया गया। मात्स्यिकी और जल-कृषि में बुनियादी ढाँचे के विकास (एफ.आई.डी.एफ.) हेतु रु.7,522 करोड़ की निधि का सृजन किया गया। यह निधि 9.40 लाख मछुआरों / मत्स्य किसानों और अन्य उद्यमियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। मत्स्यपालन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाएगा।

उन्होंने बताया की एफ.आई.डी.एफ. समुद्री और अंतर्देशीय मात्स्यिकी क्षेत्रों में मत्स्य पालन आधारभूत संरचना सुविधाओं को विकसित करके वर्ष 2020 तक 15 मिलियन टन का मत्स्य उत्पादन लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। इसके अलावा, एफ.आई.डी.एफ. के द्वारा 8% से 9% की सतत वृद्धि को हासिल करके वर्ष 2022-23 तक 20 मिलियन टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा।

माननीय कृषि मंत्री ने बताया कि बिहार राज्य को मात्स्यिकी विकास हेतु पहले वर्ष 2009-10 से 2013-14 में रु. 4.95 करोड़ केन्द्रीय सहायता दी गयी थी, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से 2018-19 में केन्द्रीय सहायता हेतु रु.64.32 करोड़ जारी कियेI इसके अतिरिक्त बिहार को आवंटित प्रधानमन्त्री विशेष पैकेज के तहत मात्स्यिकी सेक्टर को रु. 279.55 करोड़ की स्वीकृति दी गयी जिसके तहत केन्द्रीय अंश की पहली क़िस्त रु. 40.79 करोड़ जारी कर दिये गये हैं।

इस अवसर पर माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नीली क्रांति मिशन में शामिल ‘मछली परिवहन योजना’ के अंतर्गत चयनित लाभार्थियों में से 50 लाभार्थियों को मोटरसाइकिलों की चाबियाँ सौंपी।इस अवसर पर देशभर से लगभग 1000 मत्स्य किसान, मछुआरें, राज्यों के मात्स्यिकी अधिकारी, प्रसार अधिकारी, वैज्ञानिक, उद्यमियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ समारोह में प्रदर्शनी, तकनीकी सत्र और मत्स्योत्सव इस कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण थे। प्रदर्शनियों में मात्स्यिकी क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति और विकास को प्रदर्शित किया गया। देश में मछली के उपभोग को अधिक लोकप्रिय बनाने और मछली के स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए मत्स्योत्सव का आयोजन किया गया। विभिन्न सरकारी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, एन.जी.ओ. और उद्यमियों के लगभग 40 प्रदर्शकों ने प्रदर्शनी में भाग लिया। कार्यक्रम में कई फिश फुड स्टालों में विभिन्न मछली व्यंजन उपलब्ध थे।

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