केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना की घोषणा से भागलपुर में उत्साह है। स्थानीय लोग इसे सामाजिक समीकरणों को स्पष्ट करने और भाजपा को राजनीतिक लाभ देने वाला कदम मानते हैं। मुन्ना सिंह ने इसे आजादी के बाद का ऐतिहासिक कदम बताया, जो बिहार चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना की घोषणा ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। खासकर भागलपुर में इस फैसले को लेकर आम लोग उत्साहित हैं और इसे बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में निर्णायक मान रहे हैं। स्थानीय निवासियों का मानना है कि यह कदम न केवल सामाजिक समीकरणों को स्पष्ट करेगा, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राजनीतिक लाभ भी दिलाएगा। आजादी के बाद पहली बार जाति आधारित जनगणना की दिशा में उठाए गए इस कदम को लोग सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम मान रहे हैं। भागलपुर के मुन्ना सिंह ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा, “मोदी सरकार का यह ऐतिहासिक कदम है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है। यह फैसला बिहार चुनाव में बड़ा असर डालेगा। लोग आधार कार्ड के आधार पर अपनी जनसंख्या का दावा करते थे, लेकिन अब सही जनगणना से सबके दावों पर तमाचा लगेगा। सरकार का यह कदम सही दिशा में है।” मुन्ना सिंह ने कहा कि यह जनगणना सामाजिक समीकरणों को पारदर्शी बनाएगी और दावों की सच्चाई सामने लाएगी।
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भागलपुर के कौशल मिश्र ने भी सरकार के इस फैसले को बिहार के लिए गेम-चेंजर बताया। उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना जरूरी है। इससे पता चलेगा कि कौन सी जाति कितने पानी में है, उसका समाज में कितना प्रभाव, बहुमत और ताकत है। इसका बिहार चुनाव पर बहुत अच्छा असर पड़ेगा। यह होना ही चाहिए।” कौशल का मानना है कि यह कदम सामाजिक और राजनीतिक शक्ति का सही आकलन करेगा, जिससे बिहार की राजनीति में नए समीकरण बनेंगे।
भागलपुर के ही दिलीप कुमार ने इस फैसले को भाजपा के लिए फायदेमंद बताया। उन्होंने कहा, “सरकार का यह बहुत अच्छा काम है। बिहार चुनाव को देखते हुए यह कदम भाजपा को लाभ पहुंचाएगा। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बड़ा प्रयास है।” दिलीप ने कहा कि यह निर्णय न केवल सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देगा, बल्कि भाजपा की चुनावी संभावनाओं को भी मजबूत करेगा।