केंद्रीय बजट में छात्रों-युवाओं के लिए निराशा, देश बेरोजगारी-महंगाई से त्रस्त : डॉ. रणबीर नंदन - Punjab Kesari
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केंद्रीय बजट में छात्रों-युवाओं के लिए निराशा, देश बेरोजगारी-महंगाई से त्रस्त : डॉ. रणबीर नंदन

केंद्रीय बजट पर जदयू के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि इस केंद्रीय

पटना , (पंजाब केसरी):  केंद्रीय बजट पर जदयू के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि इस केंद्रीय बजट से बदतर हो चुकी अर्थव्यवस्था का कोई लाभ नहीं होने वाला है। केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स के स्लैब में मामूली बदलाव किया है जबकि बढ़ती महंगाई को देखते हुए 10 लाख रुपए तक के इनकम को टैक्स के दायरे से बाहर करना चाहिए। साथ ही बजट में छात्रों और युवाओं के लिए कुछ भी नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। जबकि केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें रोजगार को लेकर खास नहीं किया गया है। डॉ.नंदन ने कहा कि सरकारी विभागों में अभी पौने 10 लाख से अधिक पद खाली हैं। इसमें डिफेंस में 2.64 लाख, रेलवे में 2.93 लाख, होम अफेयर्स में 90 हजार, रेवेन्यू में 80 हजार पद के साथ अन्य सरकारी विभगां में कुल 1.06 लाख पद खाली हैं। केंद्रीय बजट में इन खाली पदों को भरने का कोई संकल्प नहीं है। डॉ.नंदन ने कहा कि शीर्ष नौकरियों मसलन आईएएस व आईपीएस के पद भी खाली हैं। जो पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं। बिहार में आईएएस के 133 और आईपीएस के 19 पद खाली हैं। अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है। लेकिन केंद्र सरकार इन पदों को कब तक भरेगी ऐसी कोई बात बजट में नहीं है। उन्होंने कहा कि स्ंलवि.लिप की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2023 में दुनिया के करीब 101 स्टार्टअप 31,436 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुके हैं। जबकि दिसंबर 2022 में बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत रही है। यानि युवाओं पर दोहरी मार लगातार जारी है। एक तरह युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है तो दूसरी ओर छंटनी का असर ऐसा है कि जिन्हें नौकरियां मिली हैं, उन्हें निकाला जा रहा है। अर्थव्यवस्था की बदहाली और क्या होगी, जब युवाओं के पास नौकरी का संकट बरकरार है। डॉ. नंदन ने कहा कि बिहार के परिप्रेक्ष्य में तो केंद्र का सौतेला व्यवहार जगजाहिर है। विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर एक बार फिर बिहार को मायूसी ही हाथ लगी है। साथ ही राज्यों को मिलने वाली सहायता में भी केंद्र सरकार भेदभाव ही कर रही है। इस बजट को केंद्र की भाजपा सरकार जानती है कि 2024 में उसकी स्थिति डावांडोल हो चुकी है। इसलिए एक बार फिर कुछ जुमलों के जरिए बजट को लोकलुभावन दिखाने का प्रयास हो रहा है। लेकिन जुमलेबाजी के दिन पूरे हो चुके हैं। युवाओं की बेरोजगारी और महंगाई की मार से पिसती जनता की केंद्र सरकार द्वारा की गई अनदेखी भाजपा को सबक सिखाएगी।

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