भारत देश में सभी धर्म के लोग रहते हैं यहां अपने-अपने धर्म की पूजा करने में पीछे भी नहीं रहते हैं। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। भ्रष्टाचार पर काबू पाना अब मुश्किल दिखाई दे रहा है इसे रोकने के लिए लोगों को आत्मशक्ति को मजबूत करना होगा। लोगों को जितना तनख्वाह मिलता है उसी में गुजारा करना पड़ेगा। मगर सरकारी पदाधिकारी से लेकर राजनीतिक जनप्रतिनिधियों का पूरे देश में जब तक दस बंगला खड़ा नहीं कर देते तब तक उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती और वे भ्रष्टाचार में डूबे रहते हैं।
भ्रष्टाचार के रूप में सड़क, भवन, पंचायती भवन, पुल-पुलिया आदि में दिखाई देेेता था मगर पिछले दिनों उतर प्रदेश के लोगों ने शमशान घाट को भी नहीं छोड़ा। उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक धार्मिक विचारधारा वाले मुख्यमंत्री हैं जिनका महापुरूषों में भी गिनती होती है उनके शासनकाल के दौरान गाजियाबाद के मुरादनगर के शमशान घाट की छत गिर गयी जिसमें लगभग 23 लोगों की मौत हो और 15 लोगों को बचाया गया है।जानकारी रहे कि अंतिम संस्कार के दौरान शमशासन घाट के क्षतिग्रस्त लिंटर जिसका निर्माण अक्टूबर, 2020 में की गयी थी मात्र तीन माह में टूट कर गिर गया।
मृत शव को जलाने वाले खुद भी स्वर्ग सिधार गये। इससे दुखद बात क्या हो सकती है। जितने लोग दाह-संस्कार शामिल थे वे गरीब परिवार से आते थे और फल बेचकर अपनी जीविका चलाते थे। अब सरकार कहती है कि जो भ्रष्टाचार में शामिल होंगे अब वे नपेगे। जाने वाले तो चले गये जिनके घर का व्यक्ति गया उनके घर का चूल्हा भी नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार तो पकड़े ही जायेगे, वे तो अमीर हैं, जेल में रहे या बाहर उन्हें कोई चिंता नहीं। गांधी बाबा के देश में अगर मनुष्य के मृत शरीर में पॉकेट होता तो और कितने भ्रष्टाचार होता।
दिल्ली से लेकर राज्य में सरकारें बदलते रहती है। केन्द्र और राज्य सरकार कहती है कि अब योजना का लाभ सीधे लाभुकों के खाते में जा रहा है। मगर खाता में जाने के बावजूद भी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा। पहले मेन लाइन से आता था तो भ्रष्टाचार कम होता था और लोगों की इसकी जानकारी भी हो जाती है अब ईमेल से आता है तो भ्रष्टाचार ज्यादा होता है और लोगों को जानकारी भी नहीं होती।बिहार के सुदूर जिला में आदिवासी महिला ने बताया कि बाबू अब भी इंदिरा आवास लेने के लिए साहब लोगों को रिश्वत देना पड़ता है।
जब उससे जानकारी लेना चाहा तो महिला ने रो कर बताया कि मेरे खाते से रुपया बाबू लोगों को देना पड़ता है तभी हमलोगों को पक्का मकान मिलता है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों में नल-जल योजना की बड़े-बड़े टंकियां मिलेगी लेकिन कहीं टंकी है तो पानी नहीं है। पिछले दिन माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी नल-जल योजना का उदघाटन कर रहे थे कि उदघाटन के दौरान ही पानी की टंकी गिर पड़ी।
इससे यह साफ हो गया कि आज संसद से लेकर शमशान तक भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि पहले मेन लाइन से भ्रष्टाचार होता था लेकिन अब ईमेल से भी भ्रष्टाचार होने लगा है। जब जन्म होता है तो दूसरे के भरोसे और शिक्षा-दीक्षा भी दूसरे के सहारे लिया जाता है रोजगार भी दूसरे लोग देते हैं जाने का समय होता है तो दूसरे लोग ही ले जाते हैं फिर अभिमान किस बात का।