पटना (जेपी चौधरी) : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरे देश में अपना पांव पसार दिया है। सैकड़ो की संख्या में इसकी चपेट में आकर असमाहिक मौत का शिकार बन चुका है। कोरोना का प्रकोप अगर इसी प्रकार जारी रहा तो देश की अर्थववस्था के साथ-साथ आम जन जीवन भी इससे काफी प्रभावित हो जाएगा। इतनी भयावह स्थिति हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के जग में भी नहीं हुई थी।
देश में निजी कंपनी नौकरियों से घर बार चलता है सरकारी अधिकारी और को वेतन भत्ता बढ़ाया जाता प्राइवेट नौकरी करने वाले को टुकटुक कर देखा जाता है, भारत देश में सरकारी मुलाजिम को 50000 सैलरी मिलती थी वहीं, प्राइवेट नौकरी करने वाले को ज्यादा से ज्यादा करने वाले को 10,000 सैलरी होती थी पर कोरोना वायरस के चलते पूरे देश की व्यवस्था चौपट हो गई। लाखों ट्रक सड़क पर खड़े हैं करोड़ों का माल लोड अनलोड नहीं हो रहा है। छोटे-मोटे उद्योग भी बंद है जहां पंजाब हरियाणा में गेहूं कटाई करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। दिल्ली हरियाणा और पंजाब में दर्द था कि महीनों भर लॉकडाउन हो जाएगा तो खाएंगे क्या?
जैसे देखा गया कि कोई पैदल ही कोई बाइक से ही बिहार अपने घर की ओर यह सोचकर भागा कि घर में पहुंचकर नमक रोटी खाकर साथ में गुजारा करेंगे । जिस तरह केंद्र सरकार द्वारा समाचार आ रहा है कि लॅाकडाउन को बढ़ाया जाएगा उससे और स्थिति और भयावह हो जाएगी। जब उद्योग और दुकाने नहीं खुलेगी तो सरकार को टैक्स कहां से मिलेगी। केंद्र और राज्य सरकार टैक्स के पैसे को ही सरकारी कर्मचारी को वेतन के रूप में देती है। लॉकडाउन के लिए केंद्र और राज्य सरकार के साथ जनता को सोचना होगा कि खुद सुरक्षित रहेंगें तभी देश सुाक्षित होगा। लॉकडाउन टूटना संभव होगा। भारत ऋषि-मुनियों का देश है कोरोना वायरस तभी भागेगा जब लोगों में जागरूकता एवं पंचायत प्रतिनिधि इस काम को तत्परता के साथ करेंगें।