चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव के ताड़ी बैन हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। पासवान ने कहा कि ताड़ी और नीरा प्राकृतिक पदार्थ हैं और इन्हें शराब की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ताड़ी पर बैन हटाने से संबंधित समुदाय के लोगों की आजीविका को बचाया जा सकेगा।
बिहार में नशा एक बड़ा मुद्दा है, जिससे निपटने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने 2016 में बिहार में पूर्ण रूप से शराबबंदी कर दी, लेकिन इसके तहत ताड़ी पर भी पाबंदी लगाई गई। अब विपक्ष इस पर नीतीश सरकार पर हमला बोल रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो बिहार में ताड़ी से बैन हटा दिया जाएगा। अब इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री चिराग पसावान ने भी तेजस्वी यादव को अपना समर्थन दिया है।
‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर फोकस
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान बीते गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र हाजीपुर में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए ताड़ी बैन पर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि मेरी खुद की पार्टी ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का समर्थन करती है। हम लोगों ने हमेशा से कहा है कि जो नीरा और ताड़ी है, उसे अल्कोहल के अंदर नहीं लाया जा सकता, क्योंकि ये प्राकृतिक पदार्थ हैं।
ताड़ी एक प्राकृतिक पदार्थ- चिराग
चिराग ने कहा कि इस बात की पैरवी हमारी पार्टी भी करती है। गठबंधन के अंदर भी हम लोगों ने इस बात को रखने का काम किया है। मैं मानता हूं कि कल जब ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के समर्थन की सरकार आएगी तो हम लोग भी नीरा और ताड़ी के साथ जुड़े एक बड़े समुदाय की बातों और उनकी सोच को सम्मान देंगे। प्राकृतिक पदार्थ को कतई शराब की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता।
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क्या बोले थे तेजस्वी यादव
इससे पहले तेजस्वी यादव ने बीते गुरुवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी सरकार आई तो ताड़ी को 2016 में बने शराबबंदी अधिनियम से बाहर किया जाएगा। आरजेडी नेता ने एक्स पोस्ट पर लिखा, शराबबंदी कानून के तहत अब तक करीब 12 लाख 80 हजार लोगों को जेल भेजा जा चुका है, जिसमें से 98.99% दलित और पिछड़े वर्ग के लोग हैं। इस कानून की आड़ में एनडीए सरकार द्वारा गरीबों को खूब परेशान किया गया है। दलित और पासी समाज की एक बड़ी आबादी का शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। ताड़ी बंद होने से पासी समाज के सामने आजीविका का गंभीर संकट पैदा हो गया है।