देश से गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी समेत अन्य मूलभूत समस्या को निपटाये केन्द्र सरकार, CAA नहीं : मुस्तकीम - Punjab Kesari
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देश से गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी समेत अन्य मूलभूत समस्या को निपटाये केन्द्र सरकार, CAA नहीं : मुस्तकीम

विधेयक को लेकर बेचैनी का आलम है उसे दूर किया जा सके और देश के सभी धर्मों एवं

 बांका : बांका जिला के अल्पसंख्यक समुदाय ने  बांका के डीएम को ज्ञापन सोंप कर राष्ट्रपति से नागरिक कानून विधेयक-सीएए को रद्द करने का मांग किया। तनजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत के सचिव मुफ्ती मो. मुस्तकीम ने कहा कि  कि लोकतंत्र की कामयाबी के लिए जरूरी है कि सरकार अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करे। विकास के तमाम वादों के बावजूद देश में गरीब,  भूखमरी, बेरोजगारी आदि बेहद गंभीर समस्याएं हैं। बल्कि सरकार इन गंभीर समस्याओं को छोडक़र देश की अखंडता, भाईचारा, तथा संविधान प आघात करने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक-सीएए-2019 को पास कराया है जो हमारे संविधान के मूल भावना के खिलाफ है। 
उन्होंने कहा कि  ऐसे में तनजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत, बांका बिहार धर्मनिपेक्षता एवं भारतीय संविधान पर आस्था रखने वाले बांका के तमाम नागरिक की ओर से राष्ट्रहित में निर्णय लेने एवं अशांत हुए देश की रक्षा करने के िलए अनुरोध करती है कि केन्द्र की सरकार ने बिना  किसी कारण नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 में छेड़छाड़ कर इस अधिनियम में अनावश्यक बदलाव कर राष्ट्र के समक्ष आर्थिक सामाजिक एवं भारतीय संविधान की आत्मा अनुच्छेद-44 एवं 15 को तार-तार कर दिया है जिसके कारण देश के सभी वर्ग, जाति, धर्म सम्प्रदाय से ऊपर उठाकर भारतीय संविधान की रक्षा एवं संप्रभुता को बचाये रखने के लिए सभी नागरिक विरोध करने के लिए सडक़ों पर उतर चुके हैं। भारतीय संविधान समुदायों के लिए समानता का अधिकार देता है।  लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लाकर संविधान के साथ साथदेश की एकत, अखंडता और भाईचारा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। 
संविधान की समानता के सिद्धांत को बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर और गांधी जी के एकता अखंडता को अपने ही देश में तहस नहस किया जा रहा है। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 प्रत्यक्षता साम्प्रदायिकता से प्रेरित है हम इस कानून की निंदा करते हैं क्योंकि यह कानून भारत की नागरिकता के लिए धर्म को कानूनी आधार बनाता है, इससे धर्म के आधार पर नागरिकता को विभाजित करने की मंशा स्पष्ट प्रतीत होता है। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 एवं एनआरसी को खत्म किया जाये ताकि देश में जो इस विधेयक को लेकर बेचैनी का आलम है उसे दूर किया जा सके और देश के सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों के बीच शांति, एकता एवं भाईचारा सदा बना रहे।
ज्ञापन सौंपने वालों में मौलाना मुफ्ती सय्यद शाहिद रजा रहमानी कैरी शरीफ, बौंसी, मौलाना खुर्शीद अनवर जियाई, जिलाध्यक्ष, मौलाना गुलाम सरवर रजवी सचिव, मौलाना अहमद रजा नूरी, मीडिया प्रभारी, मौलाना मो. अब्बास अंसारी मुखिया, मौलाना मो. शमशीर अली रजवी, मौलाना मो. असगर अली, मौलाना मो. सगीर आलम जियाई, मौलाना मो. यासीन मियां मिसबाही, मौलाना मो. मुनीर आलम रजवी, मौलाना जहांगीर खान कादरी, मौलाना अब्दुल कादिर रजवी, मौलाना सय्यद अहमद रजा, मौलाना मो. उसमान अशरफी, रसलपुर बांका, मौलाना मो. शमसुद्दीन रजवी, मौलाना मो. इकबाल, सचिव जमीअतुल ओलमा हिन्द बांका, बेलहर विधायक रामदेव यादव,  मो. जफरूल होदा, पूर्व प्रत्याशी, जिला राजद अध्यक्ष नरेश दास जी, राजद नेता अबुल हाशिम, कांग्रेस जिलाध्यक्ष संजीव कुमार सिन्हा, कांग्रेस नेता जितेन्द्र कुमार सिन्हा, बांका प्रमुख डा. विश्वबंधु यादव, सीपीएम जिलाध्यक्ष मो. जमील अहमद, युवा राजद जिलाध्यक्ष विशाल यादव, राजद नेता मो. जमीर उद्दीन, जाप जिलाध्यक्ष मो. रफीक आलम, बाराहाट मुखिया मो. असरार, मुखिया मो. गुलाम नवी चुटिया, शैलेन्द्र कुमार ङ्क्षसह जिलाध्यक्ष रालोसपा बांका ने नागरिकता कानून का विरोध दर्ज कराया है।

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