बिहार में AES की रोकथाम और इलाज के लिए हरसंभाव सहायता देगा केंद्र : हर्षवर्द्धन - Punjab Kesari
Girl in a jacket

बिहार में AES की रोकथाम और इलाज के लिए हरसंभाव सहायता देगा केंद्र : हर्षवर्द्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की रोकथाम और उसके समुचित इलाज के लिए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की रोकथाम और उसके समुचित इलाज के लिए बिहार सरकार को हरसंभव वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने का आश्वासन देते हुये आज कहा कि इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित जिला मुजफ्फरपुर में इंटर डिसिप्लीनरी रिसर्च सेंटर, वायरोलॉजी रिसर्च इंस्टीच्यूट की स्थापना के अलावा श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) परिसर में बच्चों के लिए अलग से सौ बेड वाले गहन  चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) भी बनाये जाएंगे। 
डॉ. हर्षवर्द्धन ने यहां एसकेएमसीएच में एईएस से पीड़ति बच्चों, उनके परिजनों, चिकित्सकों और संबंधित अधिकारियों से बातचीत करने के बाद पत्रकारों से कहा कि वह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में वर्ष 2014 में भी यहां आये थे और हालात का जायजा लिया था। उन्होंने कहा कि लगभग हर वर्ष मॉनसून के पहले मुजफ्फरपुर और बिहार के कुछ अन्य जिलों में एईएस का प्रभाव रहता है और काफी संख्या में बच्चे इससे पीड़ति हो जाते हैं तथा इनमें कई की मौत भी हो जाती है।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस बीमारी से पीड़ति बच्चों एवं उनके परिजनों से बातचीत के बाद यह बात समाने आई कि ज्यादातर बच्चों में चमकी बुखार सुबह लगभग तीन बजे से लेकर छह बजे तक शुरू हुआ। ऐसे बच्चों को जितना जल्द से जल्द अस्प्ताल ले जाया जाये और वहां उनका सही तरीके से इलाज कराया जाये, यह सुनिश्चत करना बहुत आवश्यक है। जिन बच्चों को समय रहते अस्पताल ले जाया गया उनमें काफी बच्चे ठीक हो गये।
डॉ। हर्षवर्द्धन ने कहा कि उन्हें स्थानीय चिकित्सकों ने बताया कि मॉनसून के पहले काफी गर्मी बढ़ने से और आर्द्रता का स्तर अधिक रहने से इस बीमारी से आक्रांत होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के खाली पेट में लीची खाने से भी इस बीमारी से आक्रांत होने की आशंका बताई जाती है। 
उन्होंने कहा कि इसे लेकर विशेषज्ञों में अलग-अलग राय है लेकिन अभी तक इस बीमारी के सही कारण पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के इलाज और रोकथाम के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट संस्थान के विशेषज्ञों तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भी सहायता ली जाएगी। 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुजफ्फरपुर में इंटर डिसिप्लीनरी स्टेट ऑफ आर्ट रिसर्च सेंटर खोला जाएगा ताकि इस समस्या का गहन अध्ययन कर समाधान निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि बेहतरीन वायरोलॉजी रिसर्च इंस्टीच्यूट पुणे में है और पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी वायरोलॉजी का एक विभाग है। उन्होंने कहा कि एक वायरोलॉजी रिसर्च इंस्टीच्यूट की स्थापना मुजफ्फरपुर में भी की जाएगी। इससे स्थानीय स्तर पर मरीजों को समय रहते इलाज उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। 
डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि उन्होंने पाया कि एसकेएमसीएच के आईसीयू में एईएस से पीड़ति बच्चे भर्ती हैं और वहां कई अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज भी भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि एईएस से जितनी अधिक संख्या में बच्चे आक्रांत हो रहे हैं उस लिहाज से चिकित्सकों पर इलाज का दबाव काफी अधिक है फिर भी वे इस परस्थिति में बेहतर कार्य कर रहे हैं।
 उन्होंने कहा कि एसकेएमसीएच परिसर में एक अलग से बच्चों के लिए 100 बेड वाले आईसीयू ब्लॉक बनाया जाएगा और कोशिश होगी कि यह अगले वर्ष तक बनकर तैयार हा जाये। इसके बनने से एईएस से प्रभावित बच्चों एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों के इलाज में काफी हद तक सुविधा होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।