23 सितंबर को पटना में पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह की जमीन और रोटी बचाने के मुहीम - Punjab Kesari
Girl in a jacket

23 सितंबर को पटना में पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह की जमीन और रोटी बचाने के मुहीम

बिहार में किसान आंदोलन के सूत्रधार 23 सितंबर को पटना में किसान आंदोलन के संदर्भ में एक मीटिंग

बिहार में किसान आंदोलन के सूत्रधार 23 सितंबर को पटना में किसान आंदोलन के संदर्भ में एक मीटिंग का आयोजन किया है।  पूरे बिहार के युवा, छात्र, किसान, मजदूर दलिय सीमा से उपर उठकर औद्योगिक घरानों से अपने जमीनों को बचाने के लिए मजदूरों के थाली में रोटी बचाने के लिए किसान आंदोलन को समर्थन करे।
 मजदूरों ये सरकार सिर्फ किसान विरोधी ही नहीं मजदूर विरोधी भी है। श्रम कानूनों को पूंजीपतियों के मन के मुताबिक बदला जा रहा है। सरकार का मकसद श्रम कानूनों को खत्म कर पूंजीपतियों के द्वारा मजदूरों को लूटने की खुली छूट प्रदान करना है। नरेन्द्र मोदी का यह दक्षिणपंथी – एकाधिकार गठजोड़ देश को खतरनाक रास्ते की ओर बढ़ा रहा है। यह वही रास्ता है जो हिटलर की फासीवाद की और जाता है। देश के मेहनतकश बेहद चुनौतीपूर्ण समय में जी रहे हैं। 
एक तरफ पूंजीपति वर्ग मजदूरों के हड्डियों के मज्जा भी चूस लेने पर आमदा है दुसरे तरफ वह धार्मिक तथा नस्ली और जाति के आधार पर मजदूरों को बाटे हुए हैं। ऐसे प्रतिकुल समय में वर्गीय एकता व वर्गीय संघर्ष ही मेहनतकशों को उसके तकलीफ़ों से मुक्त करा सकता है।
हमारे कुछ साथियों का मुझसे प्रश्न रहता है कि आप नरेन्द्र सिंह को गरीबों, मजदूरों तथा शोषितों का नेता बताते रहे हैं लेकिन राकेश टकैत जो कि जमींदार किसान हैं जो खेतिहर किसानों और मजदूरों के शोषण के खिलाफ नहीं लड़ा बल्कि खाप के दबाव में खेतिहर मजदूरों और खेतिहर तथा छोटे किसानों के शोषण तथा दोहन दमन के खिलाफ उठने वाले आवाज को दबाने वाले का समर्थन करता रहा है तो उसका समर्थन क्यो?
 मैं ऐसे मित्रों को कहना चाहता हूँ कि मैं मानता हूँ जमींदार किसानों और खेतिहर तथा निम्न वर्गिय किसानों और खेतिहर मजदूरों के बिच एक बड़ी आर्थिक विषमता की खाई जमींदारों के सामंतवादी मानसिकता के कारण रहीं हैं लेकिन मुझे पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह जी से आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि वे इस आंदोलन में खेतिहर किसानों, निम्न श्रेणी के किसानों, खेतिहर मजदूरों के हितों को भी ध्यान में रखकर इस लड़ाई को लडेंगे। 
साथियों अगर आज हम कुछ मुद्दों को लेकर किसान आंदोलन को कमजोर करेंगे तो ये औद्योगिक घरानों की सरकार किसानों के जमीनो के साथ हम मजदूरों की थाली की रोटी भी औद्योगिक घरानों को सौंप देंगे। अगर ये कृषि बिल वापस नहीं होता है तो इसका खामियाजा राकेश टकैत जैसे बड़े जमींदारों को नहीं खेतिहर किसानों, खेतिहर मजदूरों तथा मजदूर वर्ग तथा वैसे वर्ग जिनके पास खेति करने योग्य जमीन नहीं है तथा गैर कृषि क्षेत्र में मजदूर तथा निम्न श्रेणी के कर्मचारी हैं उनकी थाली से रोटी खत्म हो जाएगा। 
अगर आप अपने बच्चे के थाली में किसी तरह रोटी दे दोगे तो आपके बच्चों का शिक्षा कहा से दोगे क्योंकि अन्न पर औद्योगिक घरानों का कब्जा होगा और वे अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए मनमर्जी किमतो में अन्न को बेचेंगे। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।