बिहार : मेडिकल शिक्षा के लिए स्थापित होगी अलग यूनिवर्सिटी: उपमुख्यमंत्री - Punjab Kesari
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बिहार : मेडिकल शिक्षा के लिए स्थापित होगी अलग यूनिवर्सिटी: उपमुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि बिहार में 3,207 की आबादी पर एक डाॅक्टर जबकि तमिलनाडु में 4 व केरल तथा

पटना आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के एक वर्ष पूरा होने पर अधिवेशन भवन में आयोजित समारोह के उद्घाटन भाषण में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस योजना से बिहार में जहां 93,448 लोग तो वहीं पूरे देश में 44.55 लाख लाभान्वित हुए हैं जिन पर बिहार में 92 करोड़ व पूरे देश में 7.5 हजार करेाड़ खर्च हुआ है। पूरे देश में 16027 तथा बिहार में 712 अस्पताल इस योजना के तहत निबंधित हैं। देश में 10.35 करोड़ और बिहार में 27.87 लाख गोल्डन कार्ड वितरित किए गए हैं। बिहार में मेडिकल शिक्षा के लिए एक अलग ‘स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय’ स्थापित करने पर सरकार विचार कर रही है। वर्ष 2018-19 की तुलना में बिहार का स्वास्थ्य बजट उल्लेखनीय 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2019-20 में 9,622 करोड़ का है। 
श्री मोदी ने कहा कि राज्य में 11 नए मेडिकल काॅलेज खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। मधेपुरा में मेडिकल काॅलेज भवन नवम्बर तक बन कर तैयार हो जायेगा। पूर्णिया में 365 करोड़ की लागत से और छपरा में 425 करोड़ की लागत से अस्पताल का भवन बन रहा है। वैशाली, बेगूसराय, सीतामढ़ी, मधुबनी, जमुई और बक्सर में मेडिकल काॅलेज के निर्माण के लिए टेंडर हो गया है। भारत सरकार ने भी देश में 75 नए मेडिकल काॅलेज खोलने की स्वीकृति दी है जिसका लाभ बिहार को मिलेगा।  उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में सरकारी क्षेत्र में मेडिकल काॅलेज खोलने पर ध्यान नहीं दिया गया। कर्नाटक में 57,तमिलनाडु में 49, उत्तर प्रदेश में 48 व केरल में 34 मेडिकल काॅलेज हैं। बिहार में 3,207 की आबादी पर एक डाॅक्टर जबकि तमिलनाडु में 4 व केरल तथा कर्नाटक में 1.5 डाॅक्टर हैं जबकि डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रति हजार आबादी पर एक डाॅक्टर होना चाहिए। 
प्रधानमंत्री ने देश में जनसंख्या विस्फोट पर चिन्ता व्यक्त की है। बिहार में प्रति दशक जनसंख्या वृद्धि की दर 25 प्रतिशत है। स्वास्थ्य सेवा में सुधार तथा लड़कियों में शिक्षा के प्रसार के कारण प्रजनन दर 4 से घट कर औसत 3.2 हो गयी है जबकि देश के 7 राज्यों में यह औसत 1.7 से कम है। मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए केन्द्र सरकार ने एमसीआई को भंग कर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के गठन के निर्णय लिया है। नीट के माध्यम से देश के सभी मेडिकल काॅलेजों में नामांकन हो रहा है और अब एमबीबीएस फाइनल की परीक्षा पूरे देश में नेशनल एक्जिट टेस्ट के माध्यम से होगी।

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