Bihar News : मौतों के बाद विभाग हुआ सजग
बिहार में शराबबंदी लागू हुए के करीब आठ साल गुजर गए हैं। इस दौरान शायद ही किसी वर्ष जहरीली शराब से लोगों की मौत न हुई हो। वैसे, शराबबंदी कानून को लेकर सवाल भी उठाए जाते रहे हैं , लेकिन सवाल उठाने वाली पार्टियां सत्ता में जदयू के साथ आते ही उन सवालों को भूल जाती हैं। वहीं शराबबंदी के बावजूद प्रदेश में प्रतिदिन कहीं न कहीं शराब बरामदगी के मामले सामने आते रहे हैं। इसके बाद यह सवाल भी उठते रहे हैं कि सीमावर्ती जिलों से शराब बिहार में कैसे लाई जा रही है। यही कारण है कि विभाग द्वारा सारण, सिवान और गोपालगंज जिलों में जहरीली शराब पीने से करीब 50 लोगों की मौत के बाद सीमावर्ती जिलों के चेकपोस्ट पर चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
Bihar News : विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि बिहार के हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकानें खुलवाने वाले तथा शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब से हजारों लोगों की जान लेने वाले मुख्यमंत्री अब ‘महात्मा’ बनने का ढोंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2004-05 में बिहार के ग्रामीण इलाकों में 500 से भी कम शराब की दुकानें थीं, लेकिन 2014-15 में उनके शासन में इनकी संख्या बढ़कर 2,360 हो गईं। पूरे बिहार में 2004 -05 में लगभग तीन हजार शराब की दुकानें थीं जो 2014-15 में बढ़कर छह हजार से अधिक हो गईं।
Bihar News : उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में शराबबंदी होने के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं। वर्तमान में बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं। वहीं, इसकी तुलना में महाराष्ट्र, जहां शराबबंदी नहीं है, वहां शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत 13.9 है। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं, फिर भी नीतीश कुमार के अनुसार बिहार में शराबबंदी लागू है, क्या मजाक है?