उपेंद्र कुशवाहा की इस मीटिंग के बाद नीतिश सरकार में फूट पड़ सकती है? - Punjab Kesari
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उपेंद्र कुशवाहा की इस मीटिंग के बाद नीतिश सरकार में फूट पड़ सकती है?

बिहार की राजनीति में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। दरअसल नीतिश के करीबी उपेंद्र कुशवाहा को लेकर

बिहार की राजनीति में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। दरअसल नीतिश के करीबी उपेंद्र कुशवाहा को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है। एक समय में नीतिश के खास नेता कुशवाहा का पार्टी में अलग स्थान था इस बात को लेकर कुशवाहा कहते भी है की जब जब नीतिश की पार्टी कमजोर हुई तब तब उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी को संभाला है। लेकिन उनके इस बयान को लेकर नीतिश गंभीर नहीं है।  नीतिश पहले ही कह चुके है की वो जहां जाना चाहे वहां जा सकते है।इन सबके बीच एक बात तो साफ है कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी से बगावत करने की तैयारी में है इसलिए वो नीतिश से नाराज विधायकों के साथ बातचीत करने की योजना बना रहे  है। 1675686316 l
19 और 20 फरवरी को सिन्हा ने बुलाई बैठक
दूसरी तरफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जो कल तक बयान नहीं दे रहे थे वह भी खुलकर बोलने लगे हैं।  उपेंद्र कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को सिन्हा लाइब्रेरी में बैठक बुलाई है। इस बैठक की घोषणा के बाद से नीतीश कुमार की पार्टी में फूट का डर समा गया है।  यही वजह है कि तुरंत ललन सिंह ने ट्वीट कर कुशवाहा की इस बैठक पर कहा कि कहीं पर निगाहें तो कहीं पर निशाना है। 
उपेंद्र कुशवाहा ने बैठक के लिए लिखा पत्र 
बता दें कुशवाहा की इस बैठक के खास मायने है क्योंकी इस बैठक से काफी कुछ बदल सकता है। बता दें उपेंद्र कुशवाहा ने इस बैठक के लिए एक पत्र लिखा है। पत्र में वही बातें हैं जो वो लगातार मीडिया के सामने कह भी रहे हैं। आरजेडी के साथ क्या डील हुई है उसके बारे में बताया जाए। जेडीयू कमजोर हो रही है। वे कुछ बोल रहे हैं तो उनकी बातों की गलत तरीके से व्याख्या की जा रही है। मामला तब और बढ़ गया जब उनकी ओर से इस तरीके के बयान को सुनकर नीतीश कुमार ने कह दिया कि उपेंद्र कुशवाहा को जाना है तो चले जाएं. इस पर कुशवाहा ने हिस्से की बात कर दी। वो अपना हिस्सा मांगने लगे। अब इस बैठक के बाद से पार्टी में बौखलाहट है इसके मायनों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 
 नीतीश कुमार की पार्टी में हिस्सा मांग रहे  उपेंद्र
5 फरवरी 2023 को उपेंद्र कुशवाहा ने पत्र जारी कर जेडीयू को बचाने की बात कही और मीटिंग बुलाई तो तुरंत ललन सिंह ने पलटवार किया। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह लड़ाई कुशवाहा और ललन सिंह के बीच हो गई है। या इसकी कोई दूसरी वजह है। बता दें कुशवाहा ने 1994 वाली नीतीश कुमार और लालू यादव की बात भी याद दिलाई है। उसी के आधार पर हिस्सा मांग रहे हैं। 

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